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शून्य भी मैं हूँ, और ईका भी मैं हूँ
Hindi Poetry |
शून्य भी मैं हूँ, और ईका भी मैं हूँ,
यह एक पल भी मैं हूँ, और सदा भी मैं हूँ,
और जो वक़्त में ना ढ़ल सका, वो ढ़ला भी मैं हूँ,
रौशनी भी मैं हूँ, और मैं ही अंधकार हूँ,
ख़ामोशी भी मैं हूँ, और मैं ही हर एक आवाज़ हूँ,
और जिसे शब्दों में पिरो ना सका कोई, मैं ही वो एहसास हूँ,
तेरी ख्वाइश भी मैं हूँ, और तेरी खता भी मैं हूँ,
जो कभी जुबां तक ना आ सकी, वो हर एक रज़ा भी मैं हूँ,
अर्जुन भी मैं हूँ, और कृष्णा भी मैं हूँ,
विष्णु भी मैं हूँ, और शिवा भी मैं हूँ,
मैं यह पूरा भरमाण्ड हूँ, और एक-एक ज़रा भी मैं हूँ,
अब क्या कहूँ कुछ अपने बारे में,
सच कहूँ तो मैं कुछ भी नहीं,
और अगर सच कहूँ तो ये खुदा भी मैं हूँ।
शून्य भी मैं हूँ, और ईका भी मैं हूँ,
शून्य भी मैं हूँ, और ईका भी मैं हूँ।
You are what you think of yourself. We have to mould our own life the way we wish to.
Kusum
Thank you 🙂