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शिक़ायतों से अब…
Hindi Poetry |
अब खतायें मेरी, बन गईं हैं दुआएँ
शिक़ायतों से अब आती हैं सदायें
कि होंठों पे मेरे बैठा है कोई फ़साना
उसे ख़ूब आता है हम को रुलाना
ये आँसू ख़ुशी की लहर से बने हैं
इनके इंतज़ार में कई दिन हमने गिने हैं
अब आये हैं तो पलकों पर रुके हुए हैं
बरसो मुझ पर, है गुज़ारिश, हम झुके हुए हैं
वो कहते हैं कि भिगोयेंगे चाहत की ज़मीं पर
जब समझ जाएगा मेरी मोहब्बत को दिलबर
है दुआ मेरी आँखों से उनके आँसू उतर जाएँ
अब खताएँ मेरी बन गई हैं दुआएँ