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हैप्पी_मासूमियत_डे_2018
Hindi Poetry |
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मेरे बचपन का किस्सा
है अब जीवन का हिस्सा
कभी बहती नदी में, बहे मन की ये नैया
कभी उड़ती पतंग सी, उड़ा जाए पुरवैया
वो बेरों की झाड़ी में, वो आमों की बाड़ी में
शरारत करता रस्ता, रेल, मोटर गाड़ी में
फिर ज़रा देर की झपकी, जो लगी घर मे सबकी
दबे पाँव ही आ कर, धूप मुझको बुलाती
कभी छुपती वो दिखती, कभी पिट्टदुक खिलाती
दौड़ता यूँ ही बचपन, कभी ठोकर ये खाता
किसी ममता के दामन में, ये रोकर दिखाता
चोट कोई, सही हो, प्यार सहला है देता
बड़े दिल वाला कोई यार बहला है देता
वक़्त सबसे बड़ा जो, ख़ार है यार भी हैं
चाँदी बालों में भर दे, ऐसा वो सुनार भी है
सोना मिलता सही, पर, गर्द झेले भी कोई
है बचपन खेल क़ीमती, ख़ूब खेले भी कोई
ये बातों का सुनाना, कोई सच्चा अफ़साना
नहीं सच गर ये कोई, हुआ क्या होगा इस सा
मेरे बचपन का क़िस्सा, है अब जीवन भर
मेरे प्रियमन का हिस्सा !!!
#हैप्पी_मासूमियत_डे_2018
{इत्तेफ़ाक़ देखिये, यह 21.12.2001 की तारीख़
को डायरी में लिखा गया…जो कि 2016 में मेरी
बेटी की जन्म तारीख़ बनी}
चिन्ड्रन्स डे पर ख़ास एहसास !!!
Aashna AnuReet // आशना अनुरीत
के नाम !!!