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हक़ीक़त का सफर देखा है ख़्वाब होने तक…..
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हक़ीक़त का सफर देखा है ख़्वाब होने तक
आँखों का बहना मुसलसल शराब होने तक
आँखों का बहना मुसलसल शराब होने तक
इंतज़ार और फिर उसका इंतजार किया हमने
एक बार गुज़र कर लौट फिर अज़ाब होने तक
उन्हें न हो हमे तो है दीवानगी पे यकीन अपनी
उगाते रहेंगे ये काग़ज़ के फूल गुलाब होने तक
कहाँ कहाँ रुसवा होईए जाकर शकील आखिर
इसकी दरिया ए इश्क़ में बहिए सराब होने तक सराब – रेगिस्तान
इसकी दरिया ए इश्क़ में बहिए सराब होने तक सराब – रेगिस्तान