एक शब यार बिन तो रहे
चाँदनी चार दिन तो रहे
देखिये यार, गिन तो रहे
कैसे बीती हमीं जानते
एक शब यार बिन तो रहे
हो न ये ज़िन्दगी मुन्तशिर
प्यार की आलपिन तो रहे
छाँह पन्थी नहीं पा सके
पेड़ वैसे गझिन तो रहे
ऐसे पैसे से क्या फ़ायदा
आदमी मुतमइन तो रहे
जैसे तैसे गुज़र ही गये
दिन हमारे कठिन तो रहे
साफ सोना इन्हीं से हुआ
हाथ मेरे मलिन तो रहे
वक्त इतना न जाये बदल
मोहसिन मोहसिन तो रहे
पाप ऐसे न हों पापुलर
पाप से थोड़ी घिन तो रहे
हकपरस्ती सलामत रखो
हक़ हमारे हैं छिन तो रहे
हातिमों के गये हाथ घिस
कुछ चिराग़ों में जिन तो रहे
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Vaah Badhiyaa ….! (Y)
चाँदनी चार दिन तो रहे
देखिये यार, गिन तो रहे
कैसे बीती हमीं जानते
एक शब यार बिन तो रहे…waaaaaaaaaah bahaut khoob…is khoobsoorat gazal ke liye haardik badhaaee aa.SN Singh saahib