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तुम तक
Hindi Poetry |
तुम तक ही तो थी मैं ..
बांकी सब तो स्वार्थ था
इसलिये हृदयहीन हूँ सबों के लिये
सिवाय तुम्हारे ……
सच के टुकड़े हुए, तुम चली गयी
अब ! पॉव तले मिट्टी ना रही
सो कंकड़ चुभते है कही भीतर ..
खड़ी हूँ।.,क्यूंकि।..
सच्चाई सामने आई नहीं
ओर मौत झूट होती नहीं।.
टुकुर टुकुर देखती हूँ स्याह काली रात को
लोग कहते हैं तुमने दुनियाँ बदल ली है !
बहुत ही मार्मिक, प्रशस्ति!
thanks
Badhiya Rachanaa
Hardik badhaaii ….!
thanku sir!
Mann KO touch kr lene wali rachna …sab kuch bs tum tak simit h
Heart Touching Line….Really good one….
Requesting you to write as much as possible….U can do it…..
हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति ! वाह !
@harrish Chandra
thanku sir..