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~ रीत को…रीत से ~
Hindi Poetry |
इस दोस्ती का तो लुत्फ़ यही है
रीत है रीत से कोई उफ़ नहीं है
वक़्त के सागर से कुछेक छींटे
बेहतर और दूजा तार्रुफ़ नहीं है
मेरे नाम मिला ये बेबाक़ आईना
साफ़ जो सीरत कोई उर्फ़ नहीं है
आसमान से उतरी सुलझी नेमत
बदरिया अज़ाबी ज़ुल्फ़ नहीं है
मिले मेरी यारी अल्फ़ाज़ के परे
दुनियाबी सा जिसमें हर्फ़ नहीं है
~ सब्र रीत