« आभास हो तुम ……..*** | गिफ़्ट हैंपर सी ज़िन्दगी ठहरी » |
इंसानों की बस्ती में एक बस्ती हमारी भी है
Hindi Poetry |
इंसानों की बसती में एक बस्ती हमारी भी है,
बीच समंदर में डूब रही एक कश्ती हमारी भी है…!
मौका मिले तो हमारी बस्ती में आके बस जाना,
अगर नरक से बचना है तो हमारी कश्ती में आके फंस जाना…!
कसम परवरदिगार की अगर तुम्हे कुछ हुआ तो खुदा से नाता तोड़ दूंगा…!
अगर तेरा पैर टूटा तो मेरा उखाड़ कर के जोड़ दूंगा…!
मै इंसान हु, एक बार मुझपे भरोसा तो कर…
मरना तो एक दिन सभी को है,
एक दफा मेरी बस्ती में आके मर…!
– Amit T. Shah (MAS)
6th December, 2014