« उनको बताओ चाहें नमक और नान लोग | SCAFFOLD » |
समझो वह प्यारी माता है
Hindi Poetry, Uncategorized |
करुणा दीपक है द्वार धरा
ज़ीवन मे जिसके प्यार भरा
हम जिसे देख कर हर्षाये
इस जग का सारा सुख पाये
प्यारा से जिससे नाता है
समझो वह प्यारी माता है
तन मन का जिससे बन्धन है
चरणोँ की रज मे चन्दन है
बेटे का मन जो पढ़ पाई
वह कठिन वक्त से लड़ आई
दिल दर्द उसी का पाता है
समझो वह प्यारी माता है
खुशिया आँखों मे छलकाए
दुख देखे आँसु बरसाए
मन जिसके प्यार मे पागल है
जीवन मे पाया सम्बल है
गीत उसके ही गुण गाता है
समझो वह प्यारी माता है
हँस हँसकर खेले बड़े हुये
मिटटी मे लथ-पथ खड़े हुये
आँचल से ममता बरसाए
होकर वत्सल माँ बहलाये
नटखट बचपन इतराता है
समझो वह प्यारी माता है
Very good poem in honour of Mother’s Day.
Kusum
good one