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दिल में दर्द भरा तो छलका ,आँखों में भावो का जल
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दिल में दर्द भरा तो छलका ,आँखों में भावो का जल
नदिया झरनो की धाराये ,बहती जाती है कल -कल
मौसम की होती मनमानी ,उठती लहरो की हल चल
मीठी वाणी कोयल रानी ,भींगी राहे है खग -दल
बारिश छम छम नाच रही है ,सूरज होता अस्ताचल
चमक रही बिजली और ओले ,नभ पर गरजे है बादल
मरुथल मांग रहा है पानी ,बालू रेती हुई पागल
घायल साँसे वृक्ष कँटीले ,राहे दुर्गम बिछड़ा दल
फाग अनूठे मस्त सुरीले, बहती वायु हुई चंचल
उजड़े वन तो व्याकुल जीवन,जंगल में फैला दल-दल
चींटी मकड़ी तितली रानी में भी होता अतुलित बल
प्यासे को पानी की बूंदे ,बूँद दे रही कुछ सम्बल
पेड़ बचा लो छाया पा लो ,निखरा होगा भावी कल
बारिश से नदिया पूर होगी ,मीठा प्यारा निर्मल जल