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रहती है जीवन में ,मरुथल की प्यास
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रहती है जीवन में ,मरुथल की प्यास
इच्छित न मिल पाता ,नित दिन उपवास
उड़ गई निंदिया भी, अलसाए नैन
तकते है तारो को, मिलता न चैन
मिल जायेगी चितवन ,मन का विश्वास
बारिश की बूंदों से ,होती रिम झिम
रह गई दिल में ही ,चाहे अनगिन
चाहत की राहो पर, मिलता उपहास
गाँवों में अंधियारा ,दीपक टिम -टिम
जर्जर छत स्कूल की ,न मिलती तालीम
मिथ्या ही विज्ञापन ,नहीं दीखता उल्लास
vaah; Manbhaayii rachanaa aur vidit ahsaas ….!
Bahut khuub…