« तुम्हारा क्या कभी दीदार होगा. | ये लोग जो कि बिछें दंडवत समक्ष आके,ये पीठ पीछे जो जाएँ कमान हो जाएँ, » |
मोहब्बत गुनाह् होती हैं
Hindi Poetry |
हर पल में कितनों से बनती हैं…हर पल में कितनों से फन्ना होती हैं…!!
फिर क्यूँ हर बार मेरे दिल से ही कि गयीं….मोहब्बत गुनाह् होती हैं….!!
जाने यह कैसे विद्यालय में मुझको तालीम दी जा रही हैं…,
मॆं कुछ नया कहां लिखूं….यहा तो हर किताब पहले से किसी की रेहनुमा होती हैं….!!
सुना हैं….आजकल अदालतों को संसद मॆं मिलाने का प्रस्ताव आया हैं….,
मिला लो…वैसे भी आजकल वहा फैसले नही….बस चर्चे और सभा होती हैं…..!!
यह हिंदुस्तान की पावन धरती हैं…..यहा हर जुर्म भी मोहब्बत जैसा हो गया हैं….
इनमें भी मारने वाले की नही…..मरने वाले की खाता होती हैं….!!
ऐ खुदा, तुझे मेरे दिल की परवाह नही हैं तो ना कर….
मेरे दिल का क्या हैं….हर बार तेरी दी हुई धड़कनें शर्मिंदा होती हैं….!!
achhi hai.