« वही दिलकश बदन पाया उसी से खूबरू निकले. | एक छोटी – छोटी सी बात. » |
आज के नेता
Hindi Poetry |
देखते भी नही थे कल तक हमारी तरफ…
जो इतने गौरव शालीन बन गये…..,
वही आज चुनाव से पहले…..
बिछ हमारे आगे कालीन बन गये….!!
« वही दिलकश बदन पाया उसी से खूबरू निकले. | एक छोटी – छोटी सी बात. » |
Hindi Poetry |
देखते भी नही थे कल तक हमारी तरफ…
जो इतने गौरव शालीन बन गये…..,
वही आज चुनाव से पहले…..
बिछ हमारे आगे कालीन बन गये….!!
बिछ हमारे आगे कालीन बन गये….!! का मतलब क्या ?
बीच हमारे दीन होकर हमें फिर बनाने लग गए
@Vishvnand, जी हाँ विश्व जी आपकी line ही उस line का अर्थ हैं…
यह दर्शा रही हैं की कैसे नेता चुनाव से एक दो दिन पहले प्यार और आदर सत्कार देते हैं….जैसे बिछ कर कालीन बन गये हो….!!
यह तो थी बहुमुखी प्रतिभाखाली{शाली} नेताओं की एक अदा | उत्तम |
बड़ों के परामर्श अनुकरणीय होते हैं |
@dr.o.p.billore, dhnyawaad…!!
bilkul sahi kha apne….!!
gaurav shaaleen to koi shabd nahin hota gauravshaali hota hai.
अच्छा व्यंग्य.
@U.M.Sahai, धनयवाद…!!
है देश का आम आदमी,
सबका उस पर हक़ है,
क्या नेता क्या व्यापारी,
उसकी लाचारी का सबब है.
@s c kakar, बहूत खूब…!!