« जीवन और खुशी ….! | ज्ञान पिपासु की विडम्बना! » |
कैसे चंद लफ़्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ मैं!!!!!!!!
Anthology 2013 Entries |
कैसे चंद लफ़्ज़ों में सार प्यार लिखू मैं
शब्द नए चुनकर गीत वही हर बार लिखूँ मैं
उन दो आँखों में अपना सारा संसार लिखूँ मैं
विरह की वेदना लिखूँ या मिलन की झंकार लिखूँ मैं
कैसे चंद लफ़्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ मैं……
उसकी देह का श्रृंगार लिखूँ या अपनी हथेली का अंगार लिखूँ मैं
साँसों का थमना लिखूँ या धड़कन की रफ़्तार लिखूँ मैं
जिस्मों का मिलना लिखूँ या रूहों की पुकार लिखूँ मैं
कैसे चंद लफ़्ज़ों में सारा प्यार लिखूँ मैं…………….
इज़हार लिखूँ, इकरार लिखूँ या इनकार लिखूँ मैं
कुछ नए अर्थों में पीर पुरानी हर बार लिखूँ मैं
इस दिल का उस दिल पर, उस दिल पर किस दिल का
कैसे चंद लफ़्ज़ों में व्यर्थ का अधिकार लिखूँ मैं
उसके अधरों का चुंबन लिखूँ या अपने होठों का कंपन लिखूँ मैं
जुदाई का आलम लिखूँ या मदहोशी में तन मन लिखूँ मैं
बेताबी, बैचेनी, बेकरारी, बेखुदी, बेहोशी,ख़ामोशी
कैसे चंद लफ़्ज़ों में इस दिल की सारी तडपन लिखूँ मैं
दिनेश गुप्ता ‘दिन’
My FB page:
https://www.facebook.com/dineshguptadin
सुन्दर मनभावन रचना और अंदाज़ है इसकी तारीफ़ करूं मैं
प्यार के भावों का सार तो सारा आ ही गया ” क्या लिखूँ मैं ” में
commends
jo likha achchha laga.
चंद लफ़्ज़ों में सारा प्यार आपने आखिर लिख ही दिया है .. बहुत खूब !!