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कश्तियाँ
Hindi Poetry |
उस दिन
बारिश बहुत तेज़ हुई थी
गली में पानी भर आया था
बच्चे सड़कों पर
काग़ज़ की कश्तियाँ ले उतर आए
एक एक कर उन्होंने
अपनी अपनी कश्तियाँ बहानी शुरू कीं
हर एक कश्ती काग़ज़ से कुछ ज़्यादा थी
उम्मीदें
संघर्ष
और कशमकश से बनी
डोलती हुई कश्तियाँ बहती जा रही थीं
पानी को सहती जा रही थीं
एक लड़ाई सी छिड़ गयी हो जैसे
कभी दायें डगमगातीं
कभी बायें किसी से टकरातीं
आपस में भिड़ती
ठहरकर कुछ ठिठोली शुरू हो जाती
दो कश्तियाँ मानो बहस कर रही हों
फिर एक बड़ी कश्ती पीछे से ठेलती
तो सब आगे बढ़ती जातीं
रंग बिरंगी सफ़ेद अखबारी
भीड़ बन उमड़ती जातीं
एक मेला सा लग गया हो जैसे
संगीत पर थिरकती
सुर से सुर जमातीं
होड़ से होड़ लगातीं
नुक्कड़ पर दो धारायें अलग अलग हो रही थीं
बस क्या था फिर
बंट गयीं कश्तियाँ
कुछ एक रास्ते बहीं, कुछ दूसरे
कहीं धार तेज़ होती
तो तेज़ी से निकलतीं
कहीं कुछ अटकी भी रह जातीं
पानी गोल गोल घुमाता
तो मज़े से संग चक्कर खातीं
सफ़र था लेकिन
ख़त्म तो होना था
एक एक कर कश्तियाँ पलटती भी जातीं
काग़ज़ धीरे धीरे गल कर
पानी हो जाता
बहते बहते.. बह जाता
कश्तियों की किस्मत में सफ़र तो मुक़म्मल है
मंज़िल नहीं
अगर एक नज़रिए से देखें
कहीं ज़िंदगी भी ऐसी ही तो नहीं?
और पीछे से बच्चों ने
कुछ और कश्तियाँ पानी में छोड़ दीं
खेल ही है आख़िर..
Aditya,
Well thought out & elegantly composed poem on the philosphy of life compared to a paper boat .
It is upto each one’s destiny whether he/she reaches the goal/shore of bliss or sinks half way through in life’s miseries.
Kusum
@kusumgokarn, Thank you for commenting. This is the encouragement that fuels me 🙂
अति सुन्दर अर्थपूर्ण मनभावन कल्पना
और कश्तियों के इस खेल और सफ़र का वर्णन
सच ऐसा ही तो है रचा भगवन ने अपना जीवन
ये समझ गर आया तो क्यूँ होना है हमें परेशान
प्रवाह के साथ खेल समझ खेलना है अपना जीवन
इस उत्कृष्ट सी रचना के लिए हार्दिक अभिवादन
@Vishvnand, utsah vardhan ke liye behad shukriya 🙂
prateek aur vimb yojna ka saundarya sarahneey. bahut sundar.
@s.n.singh, dhanyawaad 🙂
कश्तियों की किस्मत में सफ़र तो मुक़म्मल है
मंज़िल नहीं
अगर एक नज़रिए से देखें
कहीं ज़िंदगी भी ऐसी ही तो नहीं?
वास्तविकता के करीब, जीवन का विलय और उद्भव -जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण सराहनीय है-पंक्तियों में निहित जीवन स्पर्श परभावित करता है- सुंदर रचना के लिए बधाई
@sushil sarna, बेहद शुक्रिया..