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’ सुनहरी शाम ‘
Aug 2011 Contest, Hindi Poetry |
’ सुनहरी शाम ‘
बीते लम्हें,बीते पल,बीती बातें ,
एक दिन यूँ ही याद बन जाएगी !
जीवन की ये सुनहरी शाम ,
एक दिन यूँ ही ढल जाएगी !
न होंगे पास अपने ,
न होंगे अनगिनत सपने ,
रिश्तों की तब न आहट होगी ,
जीवन की ये सुनहरी शाम ,
एक दिन यूँ ही ढल जाएगी !
न होगा ज़िन्दगी से कोई शिकवा ,
न होगी कोई शिकायत ,
वक़्त के हाथों मिलेगी सिर्फ बेबसी ,
न होगी ज़िन्दगी में कोई ज़रूरत ,
किस्मत से तब न कोई ज़िरह होगी ,
जीवन की ये सुनहरी शाम ,
एक दिन यूँ ही ढल जाएगी !
न मिलेगा साथ अपनों का ,
न मिलेगा प्यार अपनों का ,
रिश्तों के नाम पर केवल तन्हाई होगी ,
जीवन की ये सुनहरी शाम ,
एक दिन यूँ ही ढल जाएगी !
– सोनल पंवार
उभरी अभिव्यक्ति का सुन्दर विवरण
रचना विषय पर बहुत मनभावन
हार्दिक बधाई
@Vishvnand, Thanks a lot sir for ur valuable comment.
कटु लेकिन सत्य,
आँसुओं में डूबी फिर भी अच्छी,
जीवन का दर्पण दिखाती एक हृदय-स्पर्शी रचना.
हार्दिक बधाई… 🙂
@P4PoetryP4Praveen, Thank you.