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चिड़िया रानी
Hindi Poetry |
दिन भर फ़ोन
धरे कानों पर
चिड़ियाँ बैठीं क्या बतियाएँ
बात-बात में खुश हो जाना
जरा देर में ख़ुद चिढ़ जाना
अपनी-उनकी, उनकी-अपनी
जाने कितनी कथा सुनाना
एक दिवस में
कट जाती हैं
कई साल की दिनचर्याएं
बातें करती घर आँगन की
सूने-भुतहे पिछवारे की
क्या खाया, क्या पाया जग में
बातें होतीं उजयारे की
कभी-कभी होतीं कनबतियां
आँखें लज्जा से भर जाएँ
ढीली-अण्टी कभी न करती
‘मिस कॉलों’ से काम चलाना
कठिन समय है, सस्ते में ही
उँगली के बल उसे नचाना
‘टाइम पास’ किया करती हैं
रच कर कल्पित गूढ़ कथाएँ
जाल तोड़ कर कैसे-कैसे
खोज-खोज कर दाना-पानी
धीरे-धीरे चिड़िया रानी
हुई एक दिन बड़ी सयानी
फुर्र हो गईं सारी बातें
घेर रहीं भावी चिंताएँ
drishya rachna jabardast.