« बिकता ही चला हूँ मैं……! (Geet) | सूरमा भोपाली का राग भोपाली » |
पल-पल तुमको याद किया तुमको क्यों याद न आया
Hindi Poetry |
पल-पल तुमको याद किया तुमको क्यों याद न आया
मैं न कभी भूला तुमको तुमने क्यों मुझे भुलाया
जैसी थीं जो थीं दुनिया की नज़रों में तुम प्यारी
तरस रहे सौ-सौ प्राणों से तुम पर था मैं वारी
संग-संग रोया तड़पा मैं दिल के साथ तुम्हारे
आंसू पोछ सका न कभी दुनिया के भय के मारे
मुखड़ा श्यामल कुम्हलाया नयनों में बसी उदासी
अधरों पर मुस्कान देखने तरसी अंखियाँ प्यासी
जाने कितने कहर हुए क्या बीता रहीं छुपातीं
हुआ न कुछ चिंता न करो कह तुम मुझको बहलातीं
रहा नहीं नि:संग कभी मन संग-संग तेरे डोला
जाने कैसी होगी तुम सोचे तड़पा मन बोला
वह गुस्सा वह लाचारी वह गैरों का बहकाना
वह रूठना मनाना पछता आँखों का भर आना
मिलन अधूरा सदा बिछुरने का भय रहा समाया
दूर हुए लिपटा संग तेरे मन मिलनातुर पाया
बरस-बरस भीगी रातें करवट-करवट मैं रोया
बिछुरे पल मन भीगा यादों में मिलने फिर खोया
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ati sundar geet.
बहुत सुन्दर . बधाई .
nice one..:)
मधुर सुहाना प्यारा सा
ये गीत बहुत मन भाया
हार्दिक बधाई
देर आये पर दुरुस्त आये
देर हुई क्यूँ समझ न पाए….
बहुत अच्छी मनभावन रचना !
बहुत ही बारीकी और फ़ुर्सत में किये गये निरीक्षण का परिणाम सा प्रतीत हुआ !
बधाई !!!
itz brilliant 🙂