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तू मेरे घर की खिड़की पे आना
Hindi Poetry |
तू मेरे घर की खिड़की पे आना
चुटकी चुटकी चुटकी बजाना,
तू मेरे घर की खिड़की पे आना,
दिल दीवाना तुझे पुकारे जाने जाना ।
तन्हाई में जब-जब मुझको तेरी याद सताये,
जी करता है तू आ जाये बाँहों में भर जाये,
प्रीत का चुम्बन इन होंठों पे साजन तू दे जाना,
चुटकी चुटकी चुटकी बजाना ।
मेरे दिल की प्यासी धड़कन मन ही मन घबराये,
कहीं प्यार को इस दुनियाँ की नज़र नहीं लग जाये,
अपने वादे चुपके-चुपके तू पूरे कर जाना,
चुटकी चुटकी चुटकी बजाना ।
बन के दुल्हनिया मेरे साजन, मैं तेरे घर आऊँ,
तू बन जाये मेरा जोगी, मैं जोगन बन जाऊँ ,
तेरे बिन अब इस दुनियाँ में क्या है सजना,
चुटकी चुटकी चुटकी बजाना ।
चुटकी चुटकी चुटकी बजाना,
तू मेरे घर की खिड़की पे आना,
दिल दीवाना तुझे पुकारे जाने जाना ।
***** हरीश चन्द्र लोहुमी
kya khoob chutki bajai hai harish ji- dil ke jazbaato ka andaze bayan bahut khoob hai-badahai
@rajivsrivastava, चुटकी में इस मनभावन प्यार भरी प्रतिक्रिया को देने का हार्दिक शुक्रिया राजीव जी ! सस्नेह आभार !
गीत सुहाना, सुन्दर रचना, भाव बड़ा मनमाना
समझाओ ना क्या है “चुटकी चुटकी चुटकी बजाना ।
अति सुन्दर गीत की हार्दिक प्रशंसा और बधाई
@Vishvnand, हार्दिक आभार और धन्यवाद सर !
प्रेमी के आने की एक चुटकी ही काफ़ी होती है सर ! जो प्रेमिका के दर्द को मिटा देती है चुटकी में ! 🙂
एक अच्छी चुटकी भरी रोमांटिक कविता, बधाई, हरीश जी. मज़ा आ गया.
@U.M.Sahai, हार्दिक धन्यवाद सहाय साहब ! वास्तव में पसन्द आयी या यूँ ही चुटकी ले रहे हैं 🙂
चुटकी चुटकी में मधुर गीत बना दिया हरीश जी.
@siddha Nath Singh, आपकी चुटकी भर प्रशंसा चोटी पर पहुँचने का आभास करा देती है एस एन साहब ! सह्रदय आभार ।