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तुम जान पाती !!
Hindi Poetry |
यह अविव्यक्ति एक लड़की पर लिखा है जिन्होंने आज के दिन पिछले साल आत्महत्या कर ली थी और बोहुत मर्माहत वाली घटना थी
कभी कभी अभिभावक अपने बच्चो को समझ नही पाते हैं और पूरी ज़िन्दगी पछताते हैं !! चाहे कारण कितना भी गंभीर हो ज़िन्दगी से बढकर कुछ भी नही !!
तुम जान पाती !!
मुस्कुराते हुए चेहरे के पीछे छिपे
अन्धकार की सीमा तुम जान पाती!!
तुमलोगों की बातों में मेरे व्यतित्व
के विश्लेषण का दर्द जान पाती !!
मेरी टहनियां कहीं भी विकसित हो
परन्तु जो जड़ तुमसे जुड़ा है उसके
बंज़र हो जाने का दर्द तुम जान पाती!!
मै तो रीत रिवाज़ रूढ़ियाँ मान भी लूँ
पर आत्मा ये दकियानूसी विचार नही मानते
उस आत्मा का दर्द तुम जान पाती !!
हारना मै चाहती नही पर जहाँ जीत का
प्रावधान न हो वहां दौड़ का दर्द
तुम जान पाती ……………………!!
पल में हज़ार शब्दों का व्यापार करने वाली मै
तुम्हारे लाख शब्दों पर मेरी एक चुप्पी
का दर्द तुम जान पाती………………….!!
तुम्हारे शब्दों का संबल ही मेरी जड़ों को
सिंचित कर देते मेरे अन्धकार अपनी सीमा
ढूंढ़ लेते पर शब्दों का संबल भी
न पाने का दर्द तुम जान पाती ………..!!
हारना मै चाहती नही पर जहाँ जीत का
प्रावधान न हो वहां दौड़ का दर्द
तुम जान पाती ……………………!!
मर्माहत कर गये आप के विचार लेकिन किसी भी परिस्थिति मे में आत्महत्या का महिमामंडन नहीं कर सकता..
पल्लवी रचना के लिये बहुत बधाइयाँ… आप अगर प्रयास करें तो रचना की पंक्तिया ख़तम करते समय कुछ सुधार ला सकतीं है….
अच्छी भावना के लिये
पुनः बधाइयाँ
@Sinner,
meri rachna padhne or itne achche feedback k liye bohut 2 dhanyabaad!!
mai sudhaar ki kosis karungi!!
दर्द पहचान में भी आता
चुभा जो शूल नजर नही आता
कौन दिल को दीखता है सब को
दिल में क्या है नजर नही आता
आप सहृदय है इसी लिए आप की सम्वेदनाएँ आप को झकझोरती हैं रचना के लिए यही तो पहली शर्त है
बधाई
@dr.ved vyathit,
dhanyabaad sir!!
बहुत संवेदनशील ह्रदयस्पर्शी रचना लगी,
काश कुछ पासवाले जान पाते की ऐसा कुछ होनेवाला है,
तो इक जान बच जाती और उस जान को जीवन के संघर्ष में भी आनंद आता.
रचना में विदित सुदर अभिव्यक्ति के लिए बधाई
@Vishvnand,
dhanyabaad sir!!
पल्लवी जी..
इस वास्तविक कविता के लिए बहुत बहुत शुक्रिया…
वाकई जिन्दगी मे कई बार ऐसे मोड़ आते हैं कि दिल से आह निकलती है.. कि काश तुम यह जान पाती या समझ पाती…
दिल को छूने वाली कविता के लिए बहुत बहुत धन्यवाद…
@anju singh,
meri rachna aapne padhi or itne sundar vichaar diye bohut 2 dhanyabaad aapka!!
marmsparshi rachna, vyakarangat trutiyan khalti hain, sudhar len to achchha ho.
for ex-परन्तु जो जड़ तुमसे जुड़ा है उसके
ise jo jad tumse judi hai hona chahiye.aur jad banjar kee bajay baanjh likhen to kaisa rahe.
@siddha nath singh,
dhanyabaad sir mai sudhaar kar dungi !!
अच्छी हृदयस्पर्शी रचना .
dhanyabaad sir!!
jindgi ke mod hume kis taraf le jaate hai pata bhi nahi…is rachna ke liye badhai meri aur se
thanx for reading and appreciating!!
hello dear pallawi! heartly congrets for such a superb creation. i will pray to the mighty god ki tum likho, khub likho. once again congreats for such an awsome poem!!! may god bless you always…. BAS DUAON ME HAME YAAD RAKHNA
thanx for this wonderful comments!!
kya baat hai– ek ladki ka dard bakhoobi baya kiya hai– mere bhi ek rachna hai khudkushi kuch aise hi dard liye– sabhdo ka bahut sunder istemaal kiya hai aap ne badahai
dhanyabaad aapka!!
Sundar shabdo ki sundar abhivyakti