« न सच है कि मेरा असर कुछ नहीं है. | The fire in your eyes. » |
कब कहा मैंने ??
Hindi Poetry |
कब कहा मैंने ?
मेरे सपनों को आकाश मिल ही जाए
पर चाहा जरुर था , किन्तु सपने तो झूठे ही होते हैं !!
ज्यों ज्यों आयु की सीमा घटने लगी है
इक्छाओं की बाड़ छांटते छांटते
“मुझे ” से “मैं” पर आकर ठहर गयी हूँ
एक हर्फ़ की मै कब चुक जाऊं
दिए की आखरी लो की तरह !!
कब कहा मैंने ,
मुझे उन्मुक्त आकाश हो जाने दो
बची हुई” मैं ” कहाँ परम्परा ,रूढ़ियाँ
या अहंकारों की बड़ियाँ तोड़ सकती हूँ
जानते नहीं, जाती से स्त्री जो हूँ !!
कब कहा मैंने?
मुझे स्वतंत्र हो जाने दो ,
स्वतंत्रता को तो कई रूपों में परिभाषित किया है तुमने ,
तुम्हारे शब्दों की बेड़ियाँ भी तो स्वंतंत्रता के दायरे में आता है शायद !!
कब कहा मैंने ?
मुझे सांसारिकता से मुक्त हो जाने दो
परन्तु जो विलासिता तुम प्रयोग करते हो , समझ से परे हैं
और व्याभारिकता के जो जाल तुम रोज़ मेरे आसपास बुनते हो
वो तो किसी चक्रव्यूह भेदन से भी कठिन है !!
कब कहा मैंने?
ये व्यापार नहीं होगा ,प्यार देना और लेना तो सिखा ही है
परन्तु नाप तोल कर इसे बाँटना, वक़्त तो लगेगा ही !!
कब कहा मैंने?
मुझे खुला सहन हो जाने दो,
दीवारों से घिरे घर में हम सांसे भी तो गिन कर लेते हैं
बांटी तो हमने अपनी ज़िन्दगी भी है
हाँ घुटन मै बाँट नहीं पाती ,वैसे भी उपहारें देकर लिए नही जाते!!
कब कहा मैंने
मुझे थोड़ी सी धूप, उजाला या रौशनी हो जाने दो
तुम्हे मेरे मन के उजाले या अँधेरे में फर्क कहाँ पता चला है
कब कहा मैंने ?
मुझे मुझ पर पूर्ण अधिकार दे दो
परन्तु , मुझे मेरी थोड़ी सी ”मै ” हो जाने दो
behtareen kavita kintu shabdon aur spellings ki tritiyan khalne ki had tak vyapt hain sudhar len to aath chaand lag jayen.
@siddha Nath Singh,
tahe dil se aapka dhanyabaad !!
maine sudhaar karne ki kosis ki hai lakin hindi writing me thodi prblm hai
phir bhi sudhaar kar diya hai dhanyabaad !!
aachi rachna hai-vaise aaj jayadatar log main mey hi ji rahe hai .har koi main,mujhe aur mere liye hi to ji raha hai .
@rajiv srivastava,
dhanyabaad aapka !! aapki baat se sehmat
nice thot 🙂
@prachi sandeep singla,
thanx prachi!!
Good One Pallavi
@nitin_shukla14,
thanku sir!!
बहुत सुन्दर सी रचना
गहन अर्थपूर्ण और मनभावन
siddha Nath Singh ji की टिप्पणी से पूर्ण सहमति. उसपर जरूर ध्यान दें
@Vishvnand,
dhanyabaad aapka ,aaplogo ke sujhao humesha margdarshan karte hain!!
अधिकारोंके लिए निरंतर संघर्ष रत रह क्र ही कुछ पाया जा सकता है स्त्री का संघर्ष हमेशा ऊत्क्र्ष की और जाये असली संघर्ष यह है
बहुत सुंदर रचना मेरी शुभकामनायें
@dr. ved vyathit,
bohut bohut dhanyabaad aapka sir!!
amazing poem….great waiting for ur another poem…