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शरण
Hindi Poetry |
“आत्मा का परमात्मा से लीन होने का सहज आग्रह”
दो नयनों में झड़ी लगा दो,
आज हर्ष के अश्रु बहा दो |
रहे ना आस अधूरी कोई,
नीर बहा दो मुझे डुबा दो |
एक प्रार्थना यही हमारी,
आज हमें चरणों में अपने –
शरण दिला दो |
अंतर्मन की गहराई ने,
आज किया यह अनुभव गहरा,
तू ही मुझमे, नहीं और कुछ,
है सर्वस्व तुम्हारा |
सब कुछ तू ही करता है,
दुःख – सुख देता रहता है,
बंधन में बांधे रहता है,
करता है कल्याण हमारा |
आज करूँ मैं और प्रार्थना,
पूर्ण करा दो |
आज हमें चरणों में अपने,
शरण दिला दो |
आज करो हे प्रभु पवित्र मन,
आज मिटा दो कलुषित भाव,
शुद्ध करो मेरा अंतर्मन,
वर दे दो यह आज |
नहीं लालसा पाने की कुछ,
मन से मोह मिटा दो,
दया रहे सबके प्रति मन में,
यह वर मुझे दिला दो |
बोलूँ तो मीठी बोली ही,
करूँ सुकर्म सदा,
मन वाणी से कर दो सुंदर,
यह वर दे दो आज |
पहुचूँ कैसे मार्ग कठिन है,
सुगम मार्ग दिखला दो,
मुझे शरण में ले लो अपनी
मुक्ति मुझे दिलवा दो |
और नहीं बस यही प्रार्थना – मुक्ति मुझे दिलवा दो |
नीर बहा दो मुझे डुबा दो – मुक्ति मुझे दिलवा दो |
(रूचि मिश्रा)
रूचि शब्द नहीं मिल रहे तारीफ के लिए
बहुत ही भावपूर्ण प्रार्थना है यह
अतिउत्तम
@nitin_shukla14,
Thanks for reading it.
prabhu aapki prathna jaroor sunega –sunder rachna
@rajivsrivastava,
Thanks Rajiv. 😀
प्रभुप्रेम में अंतर्मन से उभरी प्रार्थना
यह रचना इक प्रतीक है,
श्रेष्ट विचारों भावनाओं का
अति मनभावन और उत्कृष्ट यह गीत है
जितनी करें प्रशंसा इसकी
मन को लगती ये कम है
इस उत्कृष्ट प्रार्थना रुपी रचना /गीत के लिए हार्दिक अभिवादन और धन्यवाद .
@Vishvnand,
Thanks a lot for reading it and for such a nice comment.
Very nice and really imploring…
Thanks Dhirendra