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यह कैसा नगर !
Hindi Poetry |
सुर है, ताल है, लय है,
– पर संगीत तो नहीं |
हरियाली है, पुष्प हैं, बगीचा है, कलियाँ हैं,
– पर खुशबू तो नहीं |
प्यार है, त्याग है, समर्पण है,
– पर ममता तो नहीं |
तुम हो, मैं हूँ, सब हैं,
– पर अपनापन तो नहीं |
ये कैसा नगर है, जहाँ –
धन-दौलत है, सुख है, सम्पनता है,
– पर भावना तो नहीं |
(रूचि मिश्रा)
bahut sundar.
@siddhanathsingh,
Thank you… 🙂
अच्छी रचना, मनभायी,
हार्दिक बधाई !!!