p4 के सदस्यों को ‘हिंदी दिवस’ की हार्दिक शुभकामनायें ।
निवेदन है कि रचना पढ़ते वक्त जिन नामों के आगे लेखन की मजबूरीवश “जी” शब्द का प्रयोग नहीं हो पाया है,कृपया लगाकर पढ़ें।
आओ हिंदी दिवस मनाएं,
सब मिलकर एक रचना रच जाएँ,
कुछ तुम गाओ, कुछ हम गाएं,
“p4” से जग में छा जाएँ ।
सर्वप्रथम आभार जताएं,
रेनू, विकास,राज और प्रीती,
जिन्होनो बनायीं ऐसी रीति,
कभी दिल जीता,कभी रचना जीती ।
स्तंभों क्या कहना,निरंतर उनका लिखते रहना,
श्री विश्वनंद जी का “सत ज्ञान”
p4 की बढाये शान ।
‘श्री गोस्वामी’ का “कारनामा”
ने खूब मचाया हंगामा ।
‘मेधिनी जी’ की “मदर अर्थ”
पनाह दे हमको बिना शर्त ।
‘सतीश जी’ की “हरी रात”
कह गयी कोई गहरी बात ।
‘श्री सिद्धनाथ’ का “दो मुक्तक”
दे गया दिलों पर वो दस्तक ।
‘वेद साहब’ का “पानी”
यह रचना है जानी-मानी ।
‘सरना साहब’ की “अभिलाषा”
शायद हर जन की आशा ।
‘सोनी’ मैडम की “अरदास”
यह कविता है कितनी खास ।
‘रचना जी’ की “मेरी चाह”
सुन्दर रचना, वाह! भई वाह!!
‘सुशील जी’ की अलग विधा है,
हास्य-व्यंग का पथ जो चुना है ।
‘हरीश जी’ मस्ती से गाएं,
हर रचनाओं में खो जाएँ ।
‘अनुज, प्राची और राजीव’,
इनके चित्रण हैं सजीव ।
क्या लिखा सभी ने,मिलजुलकर
‘परिवार’ सजाया, है चुन-चुनकर ।
लेखन में हैं सभी महान
‘p4’ की है बढती शान ।
“धन्यवाद”
shabdo ko moti jaisa piroya hai aapne ……abhinandan
Bahut-Bahut Dhanyavad,aabhar.
thanx 4 giving such an honour sir 🙂
श्री नितिन शुक्ला जी,
इस सुअवसर पर आपकी रचित यह रचना बहुत प्यारी और हर्ष दिलानेवाली है. बहुत अर्थपूर्ण है.
जितनो के नाम इसमें आये हैं उससे कहीं ज्यादा वो कवि मेम्बेर्स हैं जिनके नाम नही आये पर जिनका योगदान p4poetry पर जबसे ये साईट का निर्माण हुआ काफी कुछ है और उनका पता भी मेम्बरों को धीरे धीरे चल जाएगा.
इसी रचना को पढ़ते पढ़ते जो विचार आये उन्हें ही दर्ज कर रहा हूँ
नितिन शुक्ला जी, वेद व्यथित जी,
नए साईट पर आये हैं
अपनी प्रतिभा से ये कविगण
सुन्दर कविता रचते हैं
हमको हर्षित रखते हैं
और भी नए नए सभासद
प्यार से जुड़ते रहते हैं
p4poetry का झंडा यूं हम
हरदम ऊंचा रखते हैं ….
अब तो यह विश्वास हो रहा
बहुत दूर हम जायेंगे
p4poetry की सेवा में हम
passion का सुख पायेंगे
p4poetry नाम बढ़ाएंगे
p4poetry का सन्मान सजायेंगे
आओ सब मिल ” हिंदी दिवस” पर
आज ये प्यारा प्रण कर लें ……..!
सर,
इस सम्मान का मैं बहुत आभारी हूँ , बहुत-बहुत धन्यवाद इन मधुर शब्दों के लिए
मैं माफ़ी चाहता हूँ उन सभी कवियों/कवित्रियों से जिनका नाम मेरे अल्प ज्ञान की वजह से इस रचना का हिस्सा नहीं बन पाया है
नितिन जी बहुत प्यार दिया है
कैसे आभार व्यक्त करूं दिल की गहराइयों से आभारी हूँ
कृपया स्वीकार कर लें
डॉ साहब बहुत बहुत धन्यवाद
ये सुन्दर, सादर, सुह्रद प्रेम,
जिस दिल में नित-नित पनप रहे,
हे ईश ! सदा, हरदम, नित ही,
इस “नितिन-रत्न” की चमक रहे,
आपके द्वारा दिये गये सम्मान का सदैव आभारी रहूँगा नितिन जी,
हार्दिक धन्यवाद आपका।
हरीश जी कितना खूबसूरत लिखतें हैं आप…..
आपका धन्यवाद