« Attitude | आज का मजनूँ » |
खामोशी !
Hindi Poetry |
खामोशी अब खामोश नहीं वह भी कुछ कहती है,
खामोश चेहरों से हजार प्रश्न पूछती है.
खामोशी संग उदासी, मायुसी भी है छाई,
संग अपने अश्कों का समुंदर भी है लाई,
अश्कों में डूबी जाए खामोशी की गहराई.
खामोशी शांति नहीं है यह मन की अशांति,
किसी से कुछ न कह पाने की खामोशी ,
बिन कुछ कहे सबकुछ सह जाने की खामोशी,
बयाँ कर जाती है चेहरों को चुपके से खामोशी.
गमों के तुफान आने से पहले की खामोशी,
या फिर बिखरे जीवन पर सिमटने की खामोशी.
कोई भी पहचान न पाए है यह खामोशी क्यों?
कोई भी न जान पाए है यह मायुसी क्यों?
किसी की खामोशी एक बार तोडकर देखो,
चेहरों को पढकर उनके आसुओं को पोछ्कर तो बुझो,
गुमसुम खामोशी में एकबार महफिलें सजाकर तो देखो.
किसी को खुशियाँ देने का आनंद,
किसी को जीभर हँसाने का कदम,
तुम्हारे जीवन की खामोशी भी मिट जाएगी,
दुसरों की खुशियों संग तुम्हारी खुशी भी जगमगाएगी.
फिर न रहेगा कोई खामोश, हताश और उदास,
उनकी खुशियोंमें रंग भरकर तुम भी बन जाओगे खास…
राजश्री राजभर…..
आप की ये रचना पढ़ के एसा लगा की हमे भी खामोश न रहेना चाहिए ….अच्छा अंदाज़ हे आप का राज श्री जी..हमे तो अच्छा लगा ..जय श्री कृष्ण
Thanx alot krishnaji for ur comment.
अच्छी रचना, राजश्री, पर कुछ शब्दों जैसे तुफान, दुसरे, व मायुस की जगह क्रमशः तूफ़ान, दूसरे व मायूस होना चाहिए.
Thank u sir for guiding me n for ur best comment
nice lines…..
” किसी की खामोशी एक बार तोडकर देखो,
चेहरों को पढकर उनके आसुओं को पोछ्कर तो बुझो,”
” किसी को खुशियाँ देने का आनंद,
किसी को जीभर हँसाने का कदम,
तुम्हारे जीवन की खामोशी भी मिट जाएगी,
दुसरों की खुशियों संग तुम्हारी खुशी भी जगमगाएगी ”
बहुत खूब……
Thanks alot sir for ur beautiful comment. Thanx again.
liked the poem very much
Thanx alot Rajdeepji for ur best comment.