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तेरा प्यार ….!
Hindi Poetry |
तेरा प्यार ….!
प्यार मेरा जो हुआ था तुझसे
वही तो मेरा जीवन है
कैसे समझाऊँ मैं तुझको
इसी में मेरा अब सब है ….!
इसी प्यार ने मुझे सिखाया,
प्यार जहाँ से करता हूँ
इसी प्यार की पूजा सी सब
भले काम मैं करता हूँ ,
व्यस्त काम में रहता हूँ ….
प्रबुद्ध सोच की आदत मुझको
तेरे प्यार ने डाली है
अजब बात है जाने क्यूँ अब
तू ही मुझसे रूठी है ….!
मेरे लिए अब तुझसे बढ़कर
प्यार ने तेरे जीता है
पास नहीं तू फिर भी लगता,
मेरा तो सब तेरा है ….!
कितने वर्ष ये बीत गए हैं
सबकुछ अब बदला सा है,
मैं भी बदला तुम भी बदले,
जाने अब हम कैसे हैं ….!
पर दिल बदला नहीं ये मेरा
पहले जैसा ही वो है
अपने ही में मस्त ये रहता
तेरे प्यार का घर जो है ….!
” विश्व नन्द “
bhaav bhari panktiya! achchi lagi!
@rachana
कमेन्ट के लिए आपका बहुत शुक्रिया.
सदा की तरह एक और सुंदर रचना बस दुसरे पैरे की चौथी और पांचवीं लाईन काव्य की आत्मा के विपरीत व्यवहार कर रही है- प्यार न होता तो क्या हम भले काम न करते -प्यार तो सिर्फ प्यारी भावना है – इस रचना के लिए बधाई
@sushil sarna
आपकी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद.
सच्चे प्यार के अनुभूति की परिभाषा ही यही है कि इस प्यार के कारण इंसान को सारे जहाँ से प्यार सा हो जाता है और वह प्यार उसे अच्छे भले काम ही करने प्रोत्साहित करता रहता है, जो काम वह अपने प्यार की पूजा समझ कर करता रहता है और ऐसे ही कामों में व्यस्त हो खुद को जीवन में खुश रखता है.. इन पंक्तियों में मैंने यही दर्शाने की कोशिश की है.
जिस इंसान को सच्चे प्यार की अनुभूति हो जाती है चाहे प्रभु से हो या अपनी प्रेमिका से वह गलत काम कर ही नहीं सकता ये मेरा दृढ विश्वास है.
आजकल जो प्यार के नाम पर हो रहा है वो प्यार ही नहीं रहता; सच्चा प्यार तो बहुत दूर की बात है.
शायद आप मेरे इस विचार से सहमत होंगे.
कविता बहुत मन भावन लगी, विश्व जी.
@U.M.Sahai
कविता की प्रशंसा के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया.
बहुत सुन्दर रचना है विश्व जी !
@vpshukla
प्रशंसनीय टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद