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ना लिखे जाने का लिखा जाना
Crowned Poem, Hindi Poetry, Podcast |
मेरे अन्दर बहुत कुछ लिखे जाने योग्य है
और बहुत कुछ ऐसा है –
जिसका ना लिखा जाना ही बेहतर होगा।
मेरे अपनों के लिए, मेरे सपनों के लिए,
मेरे परिचितों और मेरे समाज के लिए।
और फिर जो कुछ कुत्सित है –
उसे लिख कर और प्रदर्शित करते रहना,
नग्नता की तस्वीरें – ख़ुद भी देखना औरों को भी दिखाना,
सामाजिक बदलाव एवं क्रान्ति की खोखली बातें करना,
नारियों के सशक्तिकरण के झूठे बिम्बों पर प्रहार करना,
घिनौनी हरकतों से लाभ कमाती व्यवस्थाओं पर आक्षेप लगाना,
क्रिकटरों के पीछे अंधी सभ्यता को – रोटी एवं खून की महत्ता सिखलाना,
टीवी से रिश्तों की परिभाषा सीखते समाज को –
प्रेम, दोस्ती, ईमानदारी, स्वाभिमान एवं इज्जत जैसे शब्दों की परिभाषाएं देना,
– ना आवश्यक है, ना ही करनीय.
ये वो बातें हैं – जो ना लिखे जाने योग्य की ‘कटेगरी’ में लिख दी गई हैं.
जिन्हें लिखने की अंदरूनी तड़प होती होगी कहीं –
लेकिन उतने अन्दर देखने का वक्त नहीं है अब
और ना ही आदत बची है.
बाहर को बचाने की जद्दोजहद में अन्दर की गलियाँ अब अपरिचित हैं।
अब वो अन्दर, अन्दर ही अन्दर ख़तम हो गया सा लगता है.
और फिर,
शब्दों में क्रूरता सबको स्वीकार्य न होगी – का भाव
मेरे महान एवं स्वीकृत लेखक होने के अहम् के विरुद्ध जाती है।
सो वो ना लिखे जाने वाली बातें, ना लिखी रह जाती हैं।
kya baat hai…..
Suparb….
वी,
कविता का कंटेंट पसंद आया, पर आप तो जानते ही है की मुझे आपके रोमांटिक कवितायेँ ज्यादा पसंद है… 🙂
प्रीती
Very beautiful indeed,
Very touching, true & intensely meaningful.
Liked immensely…
“लेकिन उतने अन्दर देखने का वक्त नहीं है अब
और ना ही आदत बची है.
बाहर को बचाने की जद्दोजहद में अन्दर की गलियाँ अब अपरिचित हैं।”
बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूँ. आप जैसे अनुभवी लोगों के शब्द ही प्रेरणा देते हैं.
विकास जी, आपकी अपनी भावनाओं पर काव्यात्मक पकड़ की यह रचना एक सुंदर प्रस्तुति है-रचना अच्छी लगी लेकिन विकास जी आपनें न लिखने योग्य को तो पूरा लिख दिया फिर लिखनें योग्य को लिखनें में क्योँ गौत मार गये-खैर रचना काबिले तारीफ़ है – बधाई
भावनाओं का अति उत्तम प्रस्तुतीकरण
Sunder kavita.
Vikash…tumhari aawaz me sunna acha lagega..
लो सुन लो 🙂
सुंदर सशक्त रचना….
विकास भाई
बहुत खुबसूरत ख़्याल हैं ये बड़ा मज़ा आया
इन्हें पढ़कर.
आपकी टिपण्णी देखकर मन प्रसन्न हो गया. बहुत बहुत धन्यवाद.
विकास
न लिखे जाने का लिखा जाना शीर्षक से एक अच्छी कविता है ,कविता मे जिन बहुआयामो
को रेखाँकित किया है वे विचारणीय है,किन्तु हमे जो भी ठीक ठाक लगे उस पर विचार व्यक्त करना
ही चाहिये,हमारे चुप रहने से समाज की दशा और दिशा दोनो मे जो बदलाव आये है बहुत लोग उनका
अनुकूलन नही कर पा रहे हैं।.
एक, अनेको आयामो की तरफ विचार करने हेतु प्रेरित करती कविता के लिये बधाई है।.
कमलेश कुमार दीवान
अध्यापक एवम् लेखक
होशंगाबाद म.प्र.
बहुत बहुत धन्यवाद. आप जैसे वरिष्ठ कवि का आर्शीवाद मिलता रहे – यही कामना है.
A very honest poem
अब voअंदर ,अंदर ही अंदर खत्म हो गया सा लगता है / अंदर की इससे अची अभिव्यक्ति और क्या होगी,/अंदर ही अंदर खत्म हो गया है अंदर,/इनर soulइन्नेर suol,/
Good poem. You wrote whatever you didn’t want to write!