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दर्द का “ताज”
Hindi Poetry |
गेटवे ने पूछा “क्या हाल हॅ तुम्हारा ताज” ?
गहरे जख्मों को लिए जी रहे हो आज.
देखा हॅ मॅने बचपन से भव्यता को तुम्हारे,
चमचमाता भवन विदेशियों को खुब भाए,
तुम्हारी खुबसुरती परायों को भारत खींच लाए.
नजर लग गई तुम्हें आतंकवादियों की ऍसी,
ग्रेनेड के धमाकों से धब्बे ऑर कालिख लगी.
जहां जन्मदिन की दावत हो या शादी की शहनाई,
हर दिन थी रॉनक, हर रात थी दिवाली,
वो दरिंदे तो खेल गये यहां खुन की होली.
आज भी गुंजती कानों में बेगुनाहों की चीखें,
सोया नहीं मॅं भी दहशत में कई रातें.
तुम्हारे मेहमानों को देखा हॅ मॅने खुन से लथपथ,
हुं मॅं चश्मदीद गवाह बडी भयानक थी वो रात.
दनादन बंदुकों की आवाज से दहल उठा भारत,
संग मेरे अरब सागर भी रोया हॅ बहुत,
देखकर तुम्हारे घाव ऑर वीरों की शहादत,
महज सांत्वना दिए नेताओं ने, नही कोई मरहम.
ताज इतने सहमे, इतने खामोश न बॅठो,
करके बातें मुझसे दिल का बोझ हल्का करो.
तुम्हारे जख्मों को भरने में सदियों लग जाएंगे,
फिर भी इतिहास के पन्नों में बीते हुए दिन सदा रुलाएंगे….
राजश्री राजभर
बहुत सुंदर भावपूर्ण कल्पना और कविता.
“गेट वे ऑफ़ इंडिया” और “ताज” की जोडी पर.
“गेट वे ऑफ़ इंडिया” सुना “ताज” से रोकर बोला,
कितना बदनसीब और पीड़ित हूँ मैं, मेरे भैया
उन दरिंदो ने मुझे ही उनके आने का गेट बनाया !
Thank u so much VishVnandji aapke sunder lines ke liye $ for your best comment.
rajshree how…
how could you think so
gr8
think tank u r my pal
gr8 goin
regards
deep
Thank u so much rajdeepji for your gr8 comment.
आप की कविता पढ़ कर विश्वास हो गया कि कल्पना अनुभव की मोहताज़ नही होती।
यकीन करिए, दिन-बा-दिन आपकी कल्पना निखरती ही जायेगी………..
सामयिक विश्लेषण के लिए हार्दिक बधाई……….:)
Thank u so much Gauravji for your best wishes & for your best comment.
Hi, rajshree
Nice One again, please join rajbhar society of India and sent this link to all your rajbhar friends. Meet some new friends and u can also sent your poems to all rajbhar society members. Keep smile and keep writing.
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